सती माता मंदिर सालोड़ी, जोधपुर – जहाँ आस्था से चमत्कार होते हैं
राजस्थान की पावन धरती पर स्थित सती माता मंदिर सालोड़ी आज एक चमत्कार के रूप में विख्यात हो चुका है। यह वह पवित्र स्थान है जहाँ माता की कृपा से असंभव संभव होता दिखाई देता है।
मंदिर का चमत्कारिक इतिहास:
कुछ समय पहले तक सुनसान पड़ी यह पहाड़ी (कांकड़ पर स्थित) आज हजारों भक्तों की आस्था का केंद्र बन चुकी है। माता की मूर्ति स्वयं भूमि से प्रकट हुई थी, जिसके बाद से यहाँ अनेक चमत्कार होते देखे गए हैं। गूँगे बोलने लगे, लंबे समय से बीमार लोग स्वस्थ हो गए – ये सब माता की असीम कृपा का प्रमाण है।
क्या आप मानते हैं कि आधुनिक युग में भी चमत्कार होते हैं?
यदि नहीं, तो जोधपुर के सालोड़ी गाँव स्थित सती माता मंदिर की यात्रा आपकी सोच बदल देगी! यह नवविरल मंदिर सोशल मीडिया पर छा गया है, जहाँ आशीर्वाद और चमत्कारिक उपचार की तलाश में हजारों भक्त आते हैं।
सती माता मंदिर की चमत्कारिक कथा:
जोधपुर के सालोड़ी गाँव में स्थित यह मंदिर, देवी सती की दिव्य उपस्थिति का प्रतीक है। स्थानीय भक्त (भगत) को एक पहाड़ी पर मिली मूर्ति को स्थापित करने के बाद से यहाँ अनेक चमत्कार हुए – पुराने दर्द, त्वचा रोगों से पीड़ित लोगों को राहत मिली।
सती माता मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि जीवित चमत्कार है जहाँ आस्था असंभव को संभव कर देती है। चाहे आप आशीर्वाद चाहते हों या चमत्कार देखना चाहते हों – यह मंदिर आपकी जिंदगी बदल सकता है!
मंदिर की विशेषताएँ:
स्वयं प्रकट हुई माता की मूर्ति
बिना पुजारी के चलने वाली पूजा व्यवस्था
पाँच परिक्रमा से रोगमुक्ति की मान्यता
प्रतिदिन हजारों भक्तों का आना
मंदिर में क्या करें?
✔ 5 परिक्रमाएँ करें – भक्तों का मानना है कि पाँच दिनों में मंदिर की पाँच परिक्रमा करने से रोग दूर होते हैं।
✔ प्रसाद चढ़ाएँ – नारियल, फूल या मिठाई जैसे साधारण प्रसाद स्वीकार्य हैं।
⚠ सावधान रहें – कोई आधिकारिक दान नहीं लिया जाता, पैसे माँगने वालों से बचें।
सती माता मंदिर कैसे पहुँचें?
हवाई मार्ग से:
📍 निकटतम हवाई अड्डा: जोधपुर एयरपोर्ट (मंदिर से 42 किमी)
🚕 टैक्सी किराया: लगभग ₹1200-1500
रेल मार्ग से:
📍 निकटतम रेलवे स्टेशन: जोधपुर जंक्शन (55 किमी दूर)
🚗 रास्ता: टैक्सी से केरू फाटा → सालोड़ी गाँव → मंदिर तक (1-1.5 घंटे)
सड़क मार्ग से:
🛣️ सर्वोत्तम विकल्प: निजी वाहन का उपयोग करें (सार्वजनिक परिवहन सीमित है)।
मंदिर का समय:
प्रात: 6 बजे से रात 8 बजे तक (रविवार को विशेष भीड़)
याद रखें:
स्थानीय भाषा में गाँव का नाम “सालोड़ी” है (कभी-कभी Salodi/Salori भी लिखा जाता है)
किसी से अनाधिकृत दान न लें
अपना पानी और प्रसाद साथ ले जाएँ
याद रखें:
स्थानीय भाषा में गाँव का नाम “सालोड़ी” है (कभी-कभी Salodi/Salori भी लिखा जाता है)
किसी से अनाधिकृत दान न लें
अपना पानी और प्रसाद साथ ले जाएँ
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नोट:
*किराया दूरी और वाहन प्रकार के अनुसार बदल सकता है
मंदिर के निकटतम पॉइंट तक ड्रॉप (अंतिम 1 किमी पैदल चलना पड़ सकता है)
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अनुभव साझा करें:
क्या आपने सती माता मंदिर सालोड़ी के चमत्कार अनुभव किए हैं? नीचे कमेंट में अपनी कहानी साझा करें!
इतना इतिहास कहा से लाया भाई जबकि पहला वीडियो ओर यथा स्थिति ये है 👇।
*विज्ञान के युग में चमत्कार हो सकता है चामुंडा पहाड़ी चावण्डा जोधपुर में सती माता का चमत्कार*
जोधपुर से 35 किलोमीटर दूर स्थित चावण्डा गांव के चामुण्डा पहाड़ी के पीछे एक नई चमत्कारी मूर्ति मिली है जो काफी पुरानी है लगभग 1400 ई के आसपास चामुंडा माताजी के परम भक्त लांछाबाई और तेजोजी पांचलाेड की बताई जाती है इस मूर्ति का इतिहास भी अनोखा है यह मूर्ति चावण्डा गांव के तालाब के पास थी जिसको एक भोले भाले भक्त वसनाराम देवासी ने अपने कब्जे में ले लिया और कभी इसको केर के पेड़ के पास रखता था कभी जाल के पेड़ के पास रखता था कभी किसी अंग्रेजी बबूल के तने मे रखता और कभी बकरियों का दूध चढ़ाता तो कभी पानी कभी कभी बबूल की पत्तियां चढ़ाता था भोला भाला इंसान था वचनाराम उसको नहीं पता था कि ये एक चमत्कारी पुरानी मूर्ति है फिर उसने धीरे-धीरे इसको पहाड़ की और ले जाकर रख दिया।थोड़े समय पहले उसकी मृत्यु के दो महीने बाद इस मूर्ति ने चमत्कार दिखाना शुरु किया यहां पर कुछ लोगों द्वारा पहाड़ पर खनन किया जा रहा था उस वक्त यह मूर्ति उनको दिखाई दी उन्होंने एक जगह पर स्थापित की उसके बाद उसे मूर्ति के चमत्कार स्वरूप लोगों को फायदा होने लगा विशेष कर दाद खाज खुजली और पैरों के दर्द में राहत मिलने लगी ऐसे बताया जाता है कि यहां 5 दिन लगातार परिक्रमा देने से कितना भी पुराना जोड़ों का दर्द घुटनों का दर्द हो या कोई खाज खुजली हो वह बिल्कुल खत्म हो जाती है चामुंडा ग्राम वासियों का कहना है कि मूर्ति की महिमा अब बहुत दूर-दूर तक फैल रही है इसी को ध्यान में रखते हुए वहां पर युवाओं ने मिलकर सहयोग स्वरूप टीन सेंड निर्माण करवाया। जिससे की कड़ी धूप या बरसात में लोगों को कोई परेशानी ना हो मूर्ति और आसपास का वातावरण देखने लायक है थोड़ी दूर पर ही पाबूजी राठौड़ का मंदिर है उसके थोड़ा आगे चांनीमाता का मंदिर है जो गुफा के अंदर है।यह स्थान श्रद्धा, आस्था और आत्मबल का प्रतीक है। चामुंडा गांव की सीमा पर स्थित यह सती माता का स्थान वर्षों पुराना है, जहां एक पुण्य आत्मा, एक वीरांगना स्त्री ने पति की मृत्युपरांत सती होकर अपनी आस्था और निष्ठा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। गांववाले इस स्थान को अत्यंत श्रद्धा से पूजते हैं।, जिसमें आस-पास के गांवों से हजारों श्रद्धालु आते हैं। लोग यहां दीप जलाकर, परिक्रमा लगाकर मन्नतें मांगते हैं और मान्यता है कि सती मां सच्चे दिल से की गई प्रार्थना जरूर सुनती हैं।
इस स्थान के पास एक वट वृक्ष भी मदन सिंह ने लगाया है जिसे पवित्र माना जाता है। महिलाएं विशेष रूप से इस स्थान पर सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति और पारिवारिक सुख की कामना के लिए दर्शन करती हैं।
सती मां का यह स्थान न केवल एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत और महिला शक्ति का प्रतीक भी है। अगर आप कभी जोधपुर आएं, तो चामुंडा माता जी ओर इस गांव के इस पावन स्थल के दर्शन अवश्य करें।